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Best Online Coding Course Platform in Hindi | Online Learning Platform | Coursera vs edX vs LinkedIn Learning

हेलो दोस्तों आज हम अपने इस आर्टिकल में कुछ ऑनलाइन कोडिंग प्लेटफॉर्म के बारे में बात करेंगे जो आपको सर्टिफिकेट भी देती है। साथ ही कुछ लीडिंग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Coursera, edX और LinkedIn Learning (Lynda.com) के बीच तुलना भी करेंगे। इस सेम टॉपिक पर हमने एक वीडियो भी बनाया है जिसे आप यहां देख सकते हैं -  • फ्री या पेड कोर्स - कई लोग इस बात से उलझे हुए होते हैं कि उन्हें कोडिंग सर्टिफिकेट के साथ सीखना चाहिए या बिना सर्टिफिकेट के साथ सीखना चाहिए। बिगनर जब कोडिंग सीखने की शुरुआत करते हैं, तो उनका दो मकसद होता है। या तो वह केवल सीखने के लिए कोडिंग सीखना चाहते हैं या भविष्य में किसी नौकरी के लिए वह कोडिंग सीखना चाहते हैं। अगर आप केवल सीखने के उत्सुक है तो मैं आपको यही कहूंगा कि आपको फ्री प्लेटफार्म से ही सीखना चाहिए क्योंकि आपको सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं। लेकिन अगर आप भविष्य में किसी नौकरी के लिए कोडिंग सीख रहे हैं या सीखना चाहते हैं, तो आप सर्टिफिकेट के साथ ही कोर्स को ले , मतलब पेड कोर्स ले। • ऑनलाइन सर्टिफिकेट कितने काम की? कई छात्र कोई पेड कोर्स लेने से पहले इस बात से भी परेशान होते

How to protect your phone from hacker in Hindi | How to protect your data in android phone | Chinese Phones

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क्या आप चाइनीस फोन चाइनीस ऐप या कोई भी ऐसी 

ऐप या फोन का इस्तेमाल करते हैं?

जिसमें आपका डाटा मतलब आपका पर्सनल डाटा लीक होने की संभावना होती है।

तो आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको यह बताएंगे कि आप इन सब को इस्तेमाल करते हुए अपने पर्सनल डाटा को कैसे बचा सकते है।

इसके लिए हमें सबसे पहले तो यह जानना पड़ेगा कि पर्सनल डाटा होता क्या है?
आपने अखबारों में न्यूज़ चैनलों में इसके बारे में सुना होगा कि सरकार ने कुछ ऐप को बैन किया है जो इंडिया के लोगों के डाटा के लिए खतरनाक था।

तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर डाटा का मतलब होता क्या है और डाटा चोरी से क्या क्या नुकसान हो सकता है और इसका इस्तेमाल किस तरह से हमें नुकसान पहुंचाने के लिए भी किया जा सकता है और आखिर यह सब से बचा कैसे जाए?


• सबसे पहले ही जानते हैं कि डाटा होता क्या है?

पर्सनल डाटा या सिर्फ डाटा का मतलब आपके फोन में आपके बारे में मौजूद सारी चीजें होती है। जैसे - आपकी फोटो, वीडियो, ऑडियो, बैंक अकाउंट के ओटीपी और भी सारे डाटा जो आपके फोन में मौजूद है।

अब शायद आप समझ गए होंगे कि डाटा चोरी होने का मतलब आपकी कई पर्सनल जानकारी का चोरी होना है, जो आप कभी नहीं चाहेंगे कि वह चोरी हो।

अब आप इस बात से कंफ्यूज होंगे कि आखिर डाटा हमारे फोन से चुराया कैसे जाता है?

• तो चलिए हम आपको ऐसे कुछ सोर्स बताते हैं, जिससे आपके फोन से डाटा को चुराया जा सकता है -

1. इसमें सबसे पहला आता है कीबोर्ड।

जी आपने बिल्कुल सही पढ़ा।
हम लोगों ने कई बार Google play store से या कहीं और से भी अलग-अलग कीबोर्ड को डाउनलोड करके इस्तेमाल किया है। जिसमें हमें अलग-अलग थीम या अलग-अलग कोई फीचर देखने को मिलता है, जिसके कारण हम उसे यूज करते है।

लेकिन यह कितना सुरक्षित है, यह हम लोगों में से किसी ने नहीं सोचा। मैं खुद भी बहुत पहले एक समय थर्ड पार्टी कीबोर्ड का यूज़ करता था मतलब जो किसी बड़ी कंपनी के द्वारा बनाया नहीं गया।

बड़ी कंपनी द्वारा बनाने के कारण वह सुरक्षित हो। ऐसा जरूरी भी नहीं है।

गूगल के द्वारा जो आपके फोन में पहले से दिया हुआ कीबोर्ड आता है, आप केवल उसी का इस्तेमाल करें। किसी भी अलग सुविधा के लिए या अलग थीम के लिए कीबोर्ड डाउनलोड ना करें।

• अब बात करते हैं कि एक कीबोर्ड डाटा चुराता कैसे है?

जब भी आप किसी कीबोर्ड में कुछ भी टाइप करते हैं। चाहे वह आपका पासवर्ड हो ओटीपी हो या कोई भी सेंसेटिव वर्ड हो।

वह कीबोर्ड इस डाटा को सेव करके अपने सर्वर पर भेज सकता है, जिससे जो उस कीबोर्ड को बनाने वाली कंपनी है, उस तक यह डाटा पहुंच सकता है और फिर आगे उसकी मर्जी है कि वह इसे किस तरह इस्तेमाल करें।

इसीलिए कभी भी थर्ड पार्टी कीबोर्ड का इस्तेमाल न करके गूगल के GBoard या Google Indic Keyboard का ही इस्तेमाल करें।

उदाहरण के तौर पर - 2017 में एक कीबोर्ड, जिसका नाम Go Keyboard था, पर यह आरोप लगा कि उसने अपने यूज़र के डाटा जैसे, पासवर्ड, गूगल सर्च और लोकेशन जैसी सेंसेटिव जानकारी को किसी थर्ड पार्टी ट्रैकर के साथ साझा किया है।
इसलिए ऐसे कीबोर्ड से सावधान रहें और केवल Google के और Microsoft के कीबोर्ड का ही इस्तेमाल करें



2. इसमें दूसरा ऐप है - आपका ब्राउज़र।

हम प्ले स्टोर से ऐसे ब्राउज़र को डाउनलोड कर लेते हैं जो हमें फास्ट डाउनलोड स्पीड और अलग-अलग सुविधा देती है। जिसके कारण हम उन्हें डाउनलोड कर लेते हैं और उसका इस्तेमाल करके ही अपने सारे कामों को पूरा करते हैं।

चाहे वह सोशल मीडिया अकाउंट में Log in करना हो या बैंक अकाउंट मैं Log in करना और यहीं हम भूल कर जाते हैं।

ब्राउज़र में हम काफी सारे काम करते हैं।
उसमें हम अपने सर्च रिजल्ट को देखते हैं, शॉपिंग करते हैं, ऑनलाइन बैंकिंग करते हैं, ऑनलाइन फॉर्म फिल करते हैं और भी कई सारी सेंसिटिव जानकारी हम अपने ब्राउज़र के जरिए देते है।

इसीलिए इस बात का ध्यान रखें कि आपके फोन में जो Authentic Browser है उसी का इस्तेमाल करें। जिनमें Google Chrome, Microsoft Edge, Bravo Browser, DuckDuckGo Browser जैसे कुछ ब्राउज़र है।



3. फ्री वाईफाई।

आप में से सभी ने कभी ना कभी फ्री वाईफाई का यूज़ किया होगा।

मैं उस वाईफाई की बात कर रहा हूं जो आपको पब्लिक में कहीं बिना पासवर्ड का मिल जाता है। किसी बस स्टैंड के पास, रेलवे स्टेशन में या एयरपोर्ट में, जिसमें पासवर्ड नहीं लगा होता और फिर हम उसका इस्तेमाल करते है।

इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि जब आप किसी के वाईफाई हॉटस्पॉट का इस्तेमाल करते हैं तो अगर वह चाहे तो वह देख सकता है कि आप उसके हॉटस्पॉट का इस्तेमाल करके क्या कर रहे।

मतलब अगर आप उसके हॉटस्पॉट का इस्तेमाल करके सोशल मीडिया अकाउंट में लॉगिन के लिए पासवर्ड टाइप करते हैं, तो वह आदमी आसानी से यह पता कर सकता है कि आपके सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड क्या है।

इसीलिए कभी भी आपको उस तरह का फ्री वाईफाई दिखे तो उसका इस्तेमाल करके ऐसा काम कभी ना करें, जिसमें आपको किसी तरह के पासवर्ड, ओटीपी आदि की जरूरत पड़ती हो।

हां, आप इसका इस्तेमाल करके यूट्यूब में वीडियो देख सकते हैं। ऑनलाइन गाने सुन सकते हैं। उसमें कोई दिक्कत नहीं है, बस इसके अलावा किसी भी तरह के लॉग इन, चैटिंग, शॉपिंग, पासवर्ड टाइपिंग जैसी कोई भी जानकारी जो आप नहीं चाहते कि कोई और देखें, उसे फ्री वाईफाई का इस्तेमाल करते हुए अपने फोन में ना करें।

फ्री वाईफाई हमेशा फ्री नहीं होता। कई बार हैकर सार्वजनिक जगहों पर जैसे बस स्टैंड रेलवे स्टेशन आदि पर अपना खुद का वाईफाई हॉटस्पॉट चालू करके रख देते हैं।
ताकि बाकी लोग फ्री समझकर उसका इस्तेमाल करने लगे और फिर वह है कर इस जानकारी का इस्तेमाल करके आपको लाखों का चूना लगा सकता है या फिर आप को ब्लैकमेल कर सकता है, तो सावधान रहें।



4. ऐप को दी गई परमिशन।

आपने जब भी कोई ऐप को डाउनलोड किया तो उसने आपसे कुछ परमिशन मांगा होगा।

कई लोग शायद ना जानते हो लेकिन जब आप ऐप को ऑन करते है, तो वह कुछ परमिशन मांगता है, जिससे आप allow या deny करते है।

ज्यादातर लोग ऐप को परमिशन देते समय यह नहीं देखते कि वह ऐप कौन सा परमिशन मांग रहा है।

जैसे, कभी-कभी थर्ड पार्टी कीबोर्ड को डाउनलोड करने पर वह आपसे स्टोरेज और लोकेशन का परमिशन मांगता है।
अब आप खुद ही सोच कर देखिए कि एक कीबोर्ड एप को स्टोरेज और लोकेशन का क्या काम है। इस तरह के ऐप लोगों के पर्सनल डाटा को चोरी करते हैं।

आप सोच रहे होंगे कि परमिशन देने से होता क्या है?

तो आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि जब आप किसी ऐप को कोई परमिशन देते हैं तो वह कभी भी उस चीज को देख सकता है।

जैसे अगर आपने किसी ऐप को स्टोरेज की परमिशन दी हो तो वह कभी भी आपके स्टोरेज में रखी किसी भी फाइल को देख सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आपको आपके फोन में चल रहे सभी ऐप के स्टोरेज के परमिशन को deny कर देना है।
कई ऐप को सही में स्टोरेज का काम होता है। जैसे वीडियो एडिटिंग एप, सोशल मीडिया ऐप आदि जो आपके फोटोस या वीडियोस का इस्तेमाल करती है।

इसलिए मेरा मानना यह है कि आपकी जो भी फाइल बहुत ज्यादा सेंसिटिव हो। उसे फोन में ना रखें उसे आप पेन ड्राइव में सेव करके कहीं और रखें।

यही कारण है के आपने फिल्मों में देखा होगा कि कोई भी सीक्रेट जानकारी पेन ड्राइव में सेव होती है इसका रीजन यही होता है।



5. ब्राउज़र से ऐप को डाउनलोड करना।

आपने कई सारे मोड एप ब्राउजर से डाउनलोड किए होंगे और उसे इंस्टॉल करके इस्तेमाल भी किया होगा।

यह काम बिल्कुल ना करें।
क्योंकि अगर उस ऐप में किसी भी तरह का virus या malware होगा, तो वह बुरी तरह से आपके फोन को नुकसान पहुंचा सकता है और आपके डाटा को लीक कर सकता है।
इसीलिए किसी भी ऐप को केवल प्ले स्टोर से ही डाउनलोड करें।



6. प्ले स्टोर की ऐप कितनी सेफ है?

आपने कई बार सुना होगा कि गूगल ने प्ले स्टोर से कुछ ऐप को हटा दिया क्योंकि वह यूजर के डाटा को लीक कर रहा था।

तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि गूगल प्ले स्टोर में मौजूद ऐप कितनी सेफ है।

हां, इस पर कोई शक नहीं कि प्ले स्टोर पर मौजूद ऐप काफी सुरक्षित है। लेकिन अगर उस ऐप को बनाने वाली कंपनी का मूड चेंज हो जाए तो आप के डाटा के इस्तेमाल गलत तरीके से भी कर सकती है।

इसीलिए जब भी आप किसी ऐप को डाउनलोड करें तो यह चेक कर ले कि उसे बनाने वाली कंपनी पर बीते समय में डाटा लीक का कोई आरोप तो नहीं लगा।

अगर ऐसी कोई बात नहीं है तो आप उस ऐप को डाउनलोड कर सकते है।

लेकिन जिस कंपनी पर डाटा लिखकर आरोप लग चुके हैं उसके किसी भी ऐप को इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह से सोच ले।


6. फोन का सॉफ्टवेयर अपडेट?

आपके एंड्राइड फोन में समय-समय पर security patch का अपडेट आता होगा।
तो जब भी आपके फोन में इसका अपडेट आए तो तुरंत से अपडेट कर लीजिए।

यह अपडेट नए तरह के virus और malware को पहचानने के लिए एंड्राइड को सक्षम बनाता है।



7. ऐप या गेम का कमाने का साधन ?

आप यह हमेशा पता करें कि किसी ऐप के कमाई का साधन क्या है?

कुछ ऐप को यूज करते हुए आपको ऐड दिखते होंगे, कुछ ऐप आपको प्रीमियम मेंबरशिप लेने के लिए कुछ पैसों की मांग करते होंगे।

तो ऐसे ऐप के कमाई का साधन तो सीधे तौर पर दिख रहा है। परंतु कुछ ऐप ऐसे भी होते हैं, जो ना तो आपको ऐड दिखाते हैं ना ही आपको प्राइम मेंबर बनने को कहते हैं।

तो ऐसी स्थिति में हो सकता है कि वह आपका डाटा बेच करके कमाई कर रही हो। ऐसा जरूरी नहीं है कि हर स्थिति में ही यही बात हो।

कई एप ऐसे भी है जो फ्री में अवेलेबल है लोगों के लिए। क्योंकि वह ओपन सोर्स होते हैं और पूरी तरह से सुरक्षित भी होते हैं।

लेकिन अगर इस तरह की स्थिति किसी दूसरे ऐप या गेम के साथ है तो उसके बारे में इंटरनेट पर पता जरूर करें उसके बाद ही उसका इस्तेमाल करें।


8. चाइनीस फोन का क्लीनर ऐप।

कई सारे चाइनीस फोन में आपको क्लीनर ऐप देखने को मिलता है, जो Clean Master या Tencent के डेफिनेशन का इस्तेमाल करती है। यह दोनों कंपनी चाइनीस है।

Clean Master पर बीते समय में बहुत सारे आरोप लगे हैं कि यह यूजर के डाटा को लीक करता है।

इसके लिए आप दो काम कर सकते हैं।

पहला, अगर आपने कोई नया फोन लिया है तो इस ऐप को ओपन ही ना करें और सेटिंग में जाकर आपको Authentication का एक ऑप्शन मिलेगा जिसमें आप Security App के Authentication को Revoke कर सकते हैं। जिससे वह ऐप आपका डाटा कलेक्ट करना बंद कर देगा।

दूसरा, अगर आपके पास पुराना फोन ही मौजूद है तो आप सेटिंग में जाकर यही काम कर सकते हैं, जिससे आपका जो भी डाटा पहले से ही उस कंपनी के सर्वर पर अपलोड था, उसे भी कंपनी डिलीट कर देगी। तो यह एक तरीका है आपके पास।

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आज के इस आर्टिकल में इतना ही।
उम्मीद है आपको इससे काफी मदद मिली होगी।

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धन्यवाद,
आपका मित्र
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